रविवार, 24 दिसंबर 2017

रेरा इज द बेस्ट?

17 दिसंबर

रेरा चेयरमैन का पद भले ही रसूख और मलाई वाला होगा, मगर मुख्य सूचना आयुक्त का ओहदा और वेतन देखकर उसके दिल में हमेशा दर्द उठता रहेगा। रेरा चेयरमैन की सेलरी चीफ सिकरेट्री याने 80 हजार का स्केल है। सब मिलाकर वेतन के रूप में रेरा चेयरमैन को सवा दो लाख रुपए मिलेंगे। वहीं, मुख्य सूचना आयुक्त को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस की हैसियत होने के चलते ढाई लाख रुपए सेलरी….साल में दो बार एलटीसी की पात्रता हासिल है। जबकि, रेरा चेयरमैन के ग्रेड के अफसरों को दो साल में एक बार एलटीसी की सुविधा मिलती है। बता दें, प्रदेश में ढाई लाख वेतन वाला कोई दूसरा पोस्ट नहीं है। हालांकि, जीएडी ने रेरा चेयरमैन का वेतन बढ़ाने के लिए कम कोशिशें नहीं की। नोटशीट भी चल चुकी थी। बाद में पता चला कि रेरा के अपीलीय अधिकारी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस या उनके समकक्ष होंगे। इनका वेतन ढाई लाख रुपए है। सो, अपीलीय अधिकारी के बराबर रेरा के चेयरमैन की सेलरी हो नहीं सकती। लिहाजा, मन मारकर उसे सवा दो लाख पर ही फायनल कर दिया गया। बावजूद इसके, रेरा का मुकाबला नहीं है।, रेरा इज द बेस्ट।

नेतागिरी में नुकसान

भानुप्रतापुर के आईएएस एसडीएम वेंकट को सरकार ने मंदिर तोड़ने की घटना में वहां से हटा दिया। लेकिन, इससे ज्यादा नुकसान उन्हें आईएएस एसोसियेशन की नेतागिरी में हो गया। वेंकट की पोस्टिंग को लिए अजय सिंह को साथ लेकर आईएएस एसोसियेशन चला गया चीफ सिकरेट्री के पास। इससे सरकार नाराज हो गई। जाहिर है, कई बार अपने लोग ही काम बिगाड़ देते हैं। भानुप्रतापपुर की घटना कैसे हुई, इसकी विस्तृत जानकारी रायपुर नहीं आई है, लेकिन वेंकट ठीक-ठाक एवं उत्साही अफसर माने जाते हैं। मगर आईएएस लॉबी के चलते वे विवादित हो गए।

जंगल और बिहार

सरकार ने जंगल विभाग को बिहार के दो अफसरों के हवाले कर दिया है। पहले सीके खेतान को एसीएस फॉरेस्ट बनाया फिर आरके सिंह को पीसीसीएफ। खेतान सासाराम से हैं तो सिंह आरा के। दोनों अपने-अपने फील्ड के मास्टर हैं। पीसीसीएफ तो वर्ल्ड बैंक से लेकर और कई बड़े प्रोजेक्टों में काम कर चुके हैं। सरकार ने उन्हें वाईल्डलाइफ का दोहरा चार्ज देकर और वजनदार बना दिया है। लेकिन, खेतान ने पहली गेंद पर चौका लगाकर पारी की शुरूआत की है, उससे वन विभाग भौंचक हैं। उन्होंने अचल संपत्ति का ब्यौरा जमा न करने वाले अफसरों की जानकारी मांग ली है। चलिये, उम्मीद कीजिए, खेतान और सिंह मिलकर वन विभाग की छबि दुरुस्त करें।

बाड़ ही खेत खा जाए तो….

बात कुछ साल पुरानी है….अमित कटारिया रायगढ़ के कलेक्टर थे। उनकी पत्नी जिंदल स्टील के प्लेन का पायलट बन गई थी। तब तत्कालीन चीफ सिकरेट्री सुनिल कुमार बेहद नाराज हुए थे। उनका कहना था कि इससे मैसेज अच्छा नहीं जाता। जाहिर है, अफसर अगर प्रायवेट लोगों से ओब्लाइज है, तो वह इसका फायदा उठाएगा या लेने की कोशिश करेगा। ताजा खबर है, एक आईएएस ने अपनी पत्नी को प्रायवेट यूनिवर्सिटी का डायरेक्टर बना दिया है। हालांकि, इस पर सरकार भी कुछ नहीं कर सकती। क्योंकि, बाड़ ही अगर खेत खाने लगे तो भी खेत की रक्षा कौन करेगा।

वक्त की बात!

आईएएस पी जॉय उम्मेन छत्तीसगढ़ में साढ़े तीन साल चीफ सिकरेट्री रहे। विवेक ढांड के बाद सर्वाधिक समय तक। नया रायपुर की बुनियाद उन्होंने ही रखी। मंत्रालय और डायरेक्ट्रेट भी उनके समय बना। लेकिन, वीआरएस लेने के बाद अब उनका वक्त कुछ ठीक नहीं चल रहा है। केरल में जिस परिवहन मंत्री थामस कूक का वे एडवाइजर बने थे, जमीन घोटाले में सीएम ने उनकी छुट्टी कर दी। उम्मेन चूकि, मंत्री के सलाहकार थे, इसलिए मंत्री के साथ उन्हें भी हटना पड़ गया।

वेटिंग सीएस और ब्लडप्रेशर

वेटिंग सीएस अजय सिंह की ताजपोशी में कोई अड़चन नहीं है। इसके बाद भी ऐसा कुछ हो रहा है या किया जा रहा है कि उनकी ब्लडप्रेशर बढ़ जा रहा होगा। असल में, बाजार में चर्चा है कि चीफ सिकरेट्री विवेक ढांड को सरकार एक्सटेंशन दे सकती है। तो उधर, सीएम ने हैदराबाद में एनएमडीसी के डायमंड जुबली प्रोग्राम में एन बैजेंद्र कुमार की इतनी जोर से पीठ थपथपा आए कि पूछिए मत! सीएम बोले, बैजेंद्र मेरे परिवार के हिस्सा थे, और इन्हें एनएमडीसी के चहुमुखी विकास के लिए मैंने आपके पास भेजा है। बैजेंद्र की अब ऐसी तारीफ होगी तो वेटिंग सीएस की स्थिति समझी जा सकती है।

डीजी की नाराजगी

कोंडागांव एसपी को डीजी नक्सल डीएम अवस्थी की नाराजगी भारी पड़ गई। सरकार ने उनकी छुट्टी कर दी। दरअसल, नक्सल मूवमेंट में कोंडागांव पुलिस की ढिलाई से डीएम नाराज थे। उपर से नक्सलियों द्वारा बुधवार को गाड़ियों को जलाने की घटना हो गई। डीएम ने यह जानकारी सरकार को दी। और, सरकार ने एसपी को हटाने में देर नहीं लगाई।

अंत में दो सवाल आपसे

1. चार में से फर्स्ट फेज में सरकार किन दो आईपीएस अफसरों को सीबीआई में जाने के लिए हरी झंडी देने जा रही है?
2. मुख्यमंत्री के तथास्तु कहने के बाद भी आरा मिल प्रकरण की फाइल क्यों लटकाई जा रही है?

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