शनिवार, 28 नवंबर 2015

करीना और मंत्रियों की आहें



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29 नवंबर
संजय दीक्षित
कैबिनेट की बैठक में सिर्फ गरमागरमी ही नहीं हुई, कुछ मंत्रियों ने करीना कपूर को लेकर ठंडी आहें भी भरीं। इसकी शुरूआत रायपुर के एक यंग मिनिस्टर की इस मिठी शिकायत से हुई कि डाक्टर साब! सरकारी कार्यक्रमों में मंत्रियों को आमंत्रित नहीं किया जाता। उनका इशारा राजधानी में हुए करीना कपूर के कार्यक्रम की ओर था। इसमें समाज कल्याण मंत्री रमशीला साहू ने सिर्फ सीएम को बुलाया था। बताते हैं, रमशीला ने दीगर मंत्रियों को इसलिए नहीं न्यौता कि लगभग सब धमक जाते। बहरहाल, कैबिनेट में करीना प्रसंग छिड़ते ही एक अन्य मंत्री का दर्द छलक आया। वे अपने आप को यह कहने से रोक नहीं पाए कि डाक्टर साब, हमें भी निमंत्रण मिला होता तो हम भी आपकी तरह करीना के साथ एक सेल्फी ले लेते। इस पर सीएम समेत सारे मंत्रियों ने जमकर ठहाके लगाए।

बंद कमरा और 20 मिनट

मंगलवार को सीएम हाउस में हुई कैबिनेट में ऐसा कुछ हुआ, जो राज्य बनने के 15 साल में नहीं हुआ। अब तक नेताओं के शिकार अफसर होते थे। अफसरों को लोगों ने थप्पड़ खाते भी देखा है। बैठकों में अफसरों का गला भरते भी। लेकिन, मंगलवार को उल्टा हुआ। एक नौकरशाह की शिकायत करते-करते पंचायत मिनिस्टर अजय चंद्राकर जैसे रफ-टफ मंत्री का गला रुंध गया। सीनियर मंत्री की पीड़ा सुन सीएम, मंत्री, अफसर, सब सकपका गए। कैबिनेट में ऐसा सीन….किसी ने सोचा भी नहीं था। अफसरों के सामने सीएम ने कुछ नहीं बोला, सिर्फ यह कि देखते हैं। बैठक के बाद सीएम ने इशारा किया और एक-एक कर सारे अफसर कैबिनेट हाल से बाहर निकल गए। बच गए सीएम और मंत्री। मंत्रियों से कुछ देर चर्चा के बाद बैठक खतम हो गई। सीएम भीतर चले गए और मंत्री सीएम हाउस से निकलने लगे। अजय चंद्राकर भी कार में बैठने ही वाले थे कि भीतर से संदेशा आया सीएम साब याद कर रहे हैं। चंद्राकर फौरन पलटे। सीएम अपने कक्ष में उनका इंतजार कर रहे थे। बंद कमरे में दोनों के बीच 20 मिनट तक गुफ्तगू हुई इसके बाद चंद्राकर जब बाहर निकले तो उनका चेहरा खिला हुआ था। सत्ता के गलियारे में यह जानने की बड़ी उत्सुकता है कि बंद कमरे में 20 मिनट में आखिर ऐसा क्या हुआ कि मायूसी लेकर चंद्राकर भीतर गए और मुस्कराते हुए बाहर आए।

पंगे के पीछे

पंचायत मंत्री और सीनियर ब्यूरोक्रेट्स के बीच पंगा बहुत पुराना नहीं है। याद होगा, इसी साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बस्तर विजिट में सेलिबिट्री कलेक्टर का गागल और कलरफुल ड्रेस एपीसोड सुर्खियो में रहा। इतना ज्यादा कि इस खबर के सामने बस्तर का दौरा तो भूल जाइये, इसके दो दिन बाद हुआ पीएम का चीन दौरा फीका पड़ गया। नेशनल मीडिया में सिर्फ यही था। इसके बाद नए मंत्रालय में हुई कैबिनेट की बैठक में पंचायत मंत्री एक आला नौकरशाह पर परंपरागत स्टाईल में चढ़ बैठे थे…..आपके चलते ये हुआ…..कलेक्टर को नोटिस भेजने की जरूरत क्या थी। और दी भी, तो मीडिया को लीक क्यों की गई….आपने हमारे प्रधानमंत्री के दौरे की ऐसी-तैसी कर दी। अब, इसे संयोग कहें या…….कि इसके बाद मंत्रीजी को घेरने वाली चीजें चालू हो गईं। एक के बाद एक खुलासे। जाहिर है, मंत्री समर्थक इसे अफसर से जोड़कर देखेंगे ही।

मैं भी दुखी, मैं भी….

कैबिनेट की बैठक में अजय चंद्राकर एपीसोड पर बवाल मचने पर कुछ और मंत्रियों ने गरम तवे पर रोटी सेंकने में देर नहीं लगाई। फौरन चालू हो गए…. अफसरों से मैं भी दुखी हूं….मैं भी, मैं भी….मेरा भी नहीं सुनते…..। दरअसल, अफसरों पर प्रेशर बनाने का मौका बढि़यां था। सो, लगे हाथ कुछ खबरें मीडिया में भी प्लांट करा दी गई। लेकिन, नान घोटाले में हाथ जलाने के बाद अफसर अब प्रेशर में नहीं आने वाले। आखिर, विभागीय जांच कभी मंत्रियों की नहीं होती। भुगतते हैं अफसर ही।

सत्र के बाद धमाका?

विधानसभा के शीतकालीन सत्र के बाद ब्यूरोक्रेसी में बड़ी उठापटक हो सकती है। सरकार कोई एटम बम भी दाग दें तो अचरज नहीं। हालांकि, रुटीन में फेरबदल अगले साल बजट सत्र के बाद समझा जा रहा था। मगर ब्यूरोक्रेसी में एक के बाद एक परिस्थितियां कुछ ऐसी निर्मित होती जा रही हंै कि सरकार सोचने पर मजबूर हो गई है। सूबे में ब्यूरोक्रेसी की लगातार भद पिट रही है, यह किसी से छिपा नहीं है। लिहाजा, बीजेपी कोर ग्रुप में भी इस पर चिंता जाहिर की गई। ऐसे में, 10 फीसदी भाग्य पर छोड़ दीजिए, तो 90 परसेंट मानकर चलिए कि सत्र के बाद कोई बड़ा धमाका होगा। धमाके का खौफ तो पुलिस महकमे पर भी साफ पढ़ा जा सकता है। सबकी यही चिंता है, दो-एक महीने में जब दुर्गेश माधव अवस्थी वैसे ही डीजी प्रमोट हो जाते तो टाईम से पहले उनके लिए डीजी का पोस्ट सृजित करने के पीछे सरकार की आखिर मंशा क्या है। आईपीएस लाबी समझ नहीं पा रही है कि पांच साल तक किनारे रखने के बाद डीएम को लेकर सरकार यकबयक हरकत में क्यों आ गई?

भाई-भाई

जशपुर में हुए एक केस में आरोपियों को छुड़ाने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने इस तरह भाई-भाई का रवैया अपनाया कि एक महिला पुलिस अधिकारी को भी न्याय नहीं मिल सका। मामला है, वहां की एडिशनल एसपी नेहा पाण्डेय के डाक्टर पति के साथ दुव्र्यवहार का। पुलिस ने चार लड़कों को गिरफ्तार किया। इनमे से दो बीजेपी के थे और दो कांग्रेस के। कांग्रेस वाले को छोड़ने के लिए कांग्रेस के एक हाईप्रोफाइल नेता ने फोन की झड़ी लगा दी तो बीजेपी के मंत्री ने भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया। यही नहीं, बीजेपी और कांग्रेस, मिलकर जशपुर बंद कराने की भी तैयारी कर ली थी। ऐसे में, कोई बवाल मच हो जाए। जिला और पुलिस प्रशासन को झूकना पड़ गया। फिर, जहां-जहां हो सकता है, मान-मनुहार की गई। अगले दिन चारों जेल से बाहर आ गए।

हफ्ते का एसएमएस

शादी शुदा लोगों के लिए मुफ्त की एक सलाह है। एक तो बीवी की ज्यादा सुनो मत। और, सुन भी लिया तो चार लोगों के बीच बोलो मत। देख रहे हो ना, आमिर का हाल…!!

अंत में दो सवाल आपसे

1. ब्यूरोक्रेसी के संदर्भ में ऐसा क्यों कहा जा रहा है कि सरकार जानबूझकर मक्खी निगल रही है?
2. आखिर क्या वजह है कि सरकार ने डीएम अवस्थी को डीजी बनाने के लिए आनन-फानन में एक पोस्ट के लिए प्रस्ताव पारित कर दिया?

शनिवार, 21 नवंबर 2015

छत्तीसगढ़ के गडकरी

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22 नवंबर
संजय दीक्षित
कांग्रेस के एक हाईप्रोफाइल नेता के चिरंजीव एवं युवा विधायक ने मोटापे से छुटकारा पाने के लिए आपरेशन करा लिया है। इसी महीने उनका मुंबई में आपरेशन हुआ। बिल्कुल बीजेपी के नीतिन गडकरी टाईप। आपरेशन के बाद वे अभी रायपुर के बंगले में लिक्विड डाईट पर चल रहे हैं। लोगों से मिलने-जुलने की अभी मनाही है। उन्हें पूर्णताः स्वस्थ्य होने में अभी 15 से 20 दिन लगेंगें। सो, स्वास्थ्य लाभ के बाद जब वे बाहर आएंगे तो उन्हें स्लिम और स्मार्ट देखकर चैंकिएगा मत। दरअसल, युवा नेता कांग्रेस की राजनीति में बड़ी भूमिका निभाने के लिए अपने आपको तैयार कर रहे हैं। इसलिए, फिट रखना जरूरी भी था। और, फिर खुद को चुस्त रखना गलत कहां है।

रायपुर माडल

रायपुर माडल एडाप्ट कर बीजेपी ने बिरगांव जीत लिया। रायपुर माडल बोले तो तुम हमें जीताओ, हम तुम्हें। आप देख ही रहे हैं, रायपुर में कुछ साल से ऐसा ही चल रहा है। तुम पार्षद बन जाओ…..महापौर बन जाओ। मगर हमें विधायक बनवा दो। बिरगांव में भी ऐसा ही हुआ। कांग्रेस नेता इस खेल को समझ नहीं पाए। हवा का रुख देखकर वे निश्चिंत थे। और, सत्ताधारी पार्टी के नेताओं ने अपना करिश्मा दिखा दिया। लिहाजा, कांग्रेस के 21 पार्षद जीत गए और बीजेपी का मेयर। फायदे में दोनों रहे। दर्जन भर से अधिक कांग्रेस के पार्षद प्रत्याशियों का घर से एक ढेला खर्च नहीं हुआ। और, कांग्रेस के गढ़ में बीजेपी को जीतने का अवसर मिल गया। वरना, नए-नवेले नगर निगम में पूरी ताकत झोंककर बीजेपी ने बिहार जैसे रिस्क ले लिया था।

प्रमोशन के साथ बिदाई

संस्कृति विभाग के वेबसाइट घोटाले में जिस रिटायर आईएएस की गर्दन फंस रही है, उसे सरकार ने प्रमोशन के साथ इस जुलाई में भावभिनी बिदाई दी। हम आरसी सिनहा की बात कर रहे हैं। 81 बैच के सीनियर के सिकरेट्री कल्चर रहने के दौरान ही वेबसाइट कांड हुआ। वेबसाइट का जो काम दो-चार लाख में होना था, उसे उन्होंने 90 लाख में उन्होंने कराया। चिप्स की कड़ी आपत्ति के बाद भी। चिप्स ने लेटर लिखकर कहा था, प्रायवेट पार्टी सरकारी वेबसाइट को हैंडिल नहीं कर सकती। बावजूद इसके, नियम कायदों को ताक पर रख कर पहले 43 और पद से हटने के एक रोज पहले 10 लाख का भुगतान कर दिया गया। 32 लाख के तीसरे बिल को नए डायरेक्टर राकेश चतुर्वेदी ने रोक कर जांच के लिए सरकार को लिखा था। इसके बाद भी रिटायर होने से चंद दिनों पहले आनन-फानन में डीपीसी कराकर सिनहा को सिकरेट्री से प्रिंसिपल सिकरेट्री बना दिया गया। सिनहा वही आईएएस हैं, जिन्हें फुड पार्क घोटाले में दोषी पाए जाने पर उन्हें भारत सरकार ने प्रमोशन देने से रोक दिया था। रिटायरमेंट से 15-20 दिन पहले ही उनकी सजा की अवधि खतम हुई थी। लेकिन, तब तक वेबसाइट घोटाले की फाइल मूव हो गई थीं। मगर सामान्य प्रशासन विभाग ने इस फाइल को ही दबा दी।

अतिउत्साह

आईपीएस के कैडर रिव्यू में अतिउत्साह दिखाना पुलिस मुख्यालय को लगता है, भारी पड़ रहा है। आमतौर पर बाकी स्टेट भारत सरकार से 15 से 20 फीसदी पोस्ट वृद्धि की डिमांड करते हैं। लेकिन, अपना पीएचक्यू ने पिछले सारे रिकार्ड ध्वस्त करते हुए 60 परसेंट ज्यादा पोस्ट मांगा है। फिलहाल, छत्तीसगढ़ के लिए 103 आईपीएस का कैडर स्वीकृत है। पीएचक्यू ने 163 का प्रपोजल भेज डाला। ऐसे में, इसे भारत सरकार में जाकर डंप होना ही था। जरा गौर कीजिए। अप्रैल में पीएचक्यू ने कैडर रिव्यू के लिए भेजा था। अभी इसका कोई अता-पता नहीं है। जबकि, मध्यप्रदेश का कब का हो चुका है। हालांकि, मार्केट मेें तरह-तरह की बातें हो रही है। मसलन, डीएम अवस्थी को डीजी बनने से लटकाने के लिए जंबो प्रपोजल भेजा गया। ताकि, फाइल लटक जाए। लेकिन, इससे इतेफाक नहीं किया जा सकता। क्योंकि, जब तक एएन उपध्याय डीजीपी हैं, इस तरह की बातों की कोई गंुजाइश दिखती नहीं। लेकिन….., अतिउत्साह ही मानें, चूक तो हुई है।

हाईप्रोफाइल शादी

सात दिसंबर को पीसीसी चीफ भूपेश बघेल की बिटिया की शादी है। जाहिर है, वर-वधु को आर्शीवाद देने के लिए राजधानी में कांग्रेस नेताओं का जमावड़ा लगेगा। निमंत्रण तो सोनिया और राहुल गांधी को भी दिए गए हैं। मोतीलाल वोरा, दिग्विजय, बीके हरिप्रसाद के साथ ही कांग्रेस के कई बड़े नेताओं का आना तय है। राजधानी में शादी की जोर-शोर से तैयारी चल रही है। 20 हजार कार्ड छपवाए गए हैं। भूपेश खुद ही सब जगह जाकर कार्ड बांट रहे हैं। चाहे वो पार्टी का निचले स्तर का कार्यकर्ता ही क्यांें ना हो। वे एक-एक जिले में जा रहे हैं।

बर्थडे ब्वाय

प्रिंसिपल सिकरेट्री राजेंद्र प्रसाद मंडल का 19 नवंबर को जन्मदिन था। यार, दोस्त से लेकर उनके विभाग के सप्लायर, ठेकेदार उन्हें बुके देने के लिए सुबह से ढूंढते रहे। वे न घर पर थे औ ना ही मंत्रालय में मिले। डिप्टी सिकरेट्री ने व्हाट्सअप पर पुकार लगाई, सर! आप कहां हैं….आपका नम्बर भी नहीं लग रहा है। कोई जवाब नहीं मिला। रायपुर की पूर्व मेयर किरणमयी नायक ने कमेंट्स किया, बर्थड ब्वाय गायब है। मंडल का शाम को लोकेशन मिला। वे पटना में थे। नीतिश के शपथग्रहण को आप इससे मत जोडि़एगा। मंडल बिहार से हैं और पटना में उनके कई रिलेटिव रहते हैं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. बिरगांव में पार्टी उम्मीदवार को जीताने के लिए बीजेपी के किस विधायक ने जान लगा दी थी और क्यों?
2. एक बड़े सरकारी बोर्ड का नाम बताइये, जो कुप्रबंधन के चलते सफेद हाथी बनने की स्थिति मंे आ गया है?

मंत्री की गाली

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15 नवंबर
संजय दीक्षित
गाली बकने एवं हड़काने में एक्सपर्ट माने जाने वाले एक मंत्रीजी का व्हाट्सअप इन दिनों चर्चा में है। बताते हैं, मंत्रीजी अपने बंगले में किसी नेता को गरिया रहे थे। उनका वायस किसी ने मोबाइल में रिकार्ड कर लिया। इसके बाद उसे वायरल होने में देर नहीं लगी। मंत्री विरोधियों ने ढूंढ-ढूंढकर व्हाट्सअप ग्रुपों में आडियो को सेंड कर दिया। अब, मंत्री के समर्थक सफाई दे रहे हैं, मंत्रीजी रोड बनाने के लिए पेड़ उखाड़ने की बात कह रहे हैं। लोग, नाहक इसका गलत अर्थ ना निकालें।

48 करोड़ का चूना

राजधानी का वीआईपी रोड बोले तो एयरपोर्ट रोड। इस रोड का एक बार फिर चैड़ीकरण की कवायद शुरू हो गई है। इसके लिए 76 करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार किया है। 106 फुट में से 60 फुट का फोर लेन सिर्फ एयरपोर्ट के लिए होगा। जीई रोड से आप इंटर किए तो सीधे एयरपोर्ट के पास निकलेंगे। बीच में कोई कट नहीं। बाकियों के लिए इस रोड के दोनों ओर 23-23 फुट की सड़क होगी। मगर प्रश्न यह है कि जब वीआईपी रोड को चैड़ा करना ही था, तो दो साल पहले व्हाया धरमपुरा नया एयरपोर्ट रोड बनाया ही क्यों गया। आप जरा याद कीजिए। 2013 में वीआईपी रोड के चैड़ीकरण का जमकर विरोध हुआ था। तब पीडब्लूडी ने पैंतरा बदलते हुए सरकार के सामने धरमपुरा होकर एयरपोर्ट रोड बनाने का प्रस्ताव रख दिया था। हालांकि, इसमें एयरपोर्ट का डिस्टेंस तीन किलोमीटर अधिक था। मगर वीआईपी रोड के विवाद को देखते सरकार ने इसे मंजूरी देने में देर नहीं लगाई। नई फोरलेन सड़क बनाने में करीब 48 करोड़ खर्च आया। मगर इस रोड की युटीलिटी देखिए। एक आदमी इस रोड से एयरपोर्ट नहीं जाता। अलबत्ता, जो अफसर नया एयरपोर्ट बनाए, वे भी वीआईपी रोड से ही एयरपोर्ट आना-जाना करते हैं। फायदा हुआ तो सिर्फ दो को। एक, आसपास के गावों के मवेशियों को धूमने, फिरने और आराम से पगुराने के लिए साफ-सुथरी जगह मिल गई। और दूसरा, धरमपुरा में रहने वाले नौकरशाहों की कालोनी को। हाउसिंग बोर्ड ने तीन साल पहले 100 रुपए में उन्हें जमीनें दी थी, रोड बनने के बाद अब वह 800 रुपए पर पहुंच गया है। हाउसिंग बोर्ड ने इसलिए सस्ते में जमीनें दी थी कि वहां रोड नहीं है। और, पीडब्लूडी ने वहां दो साल के भीतर चकाचक फोर लेन बना दिया। अब, हम ये नहीं कहेंगे कि पीडब्लूडी ने एयरपोर्ट की आड़ में धरमपुरा कालोनी के लिए रोड बना दिया। मगर सरकार को देखना चाहिए। और, इसके पीछे के खेल को समझना भी चाहिए। कि ठीक उसकी नाक के नीचे क्या हो रहा है।

नामों में क्या

वीआईपी रोड का नया नाम अब एयरपोर्ट हाइवे होगा। सरकार ने इस पर मुहर लगा दिया है। हालांकि, नामों में कुछ रखा नहीं है। मगर इसका विरोध होना तय है। कारण कि वीआईपी रोड का नाम राजीव गांधी रोड पहले ही रखा जा चुका है। और, इसे और कोई नहीं, बल्कि सरकार ने ही बताया था। दिवंगत सीएम श्यामाचरण शुक्ल की बेटी ने जब दो साल पहले वीआईपी रोड का नामकरण उनके पिता के नाम पर करने की मांग की थी, तो सरकार ने उसे यह कहते हुए विनम्रता से ठुकरा दिया था कि इस रोड का नामकरण तो राजीव गांधी के नाम पर पहले ही हो चुका है। ऐसे में, नगरीय प्रशासन विभाग ने अगर वीआईपी रोड का नाम बदल दिया है, तो जाहिर है कांग्रेस इस पर सवाल खड़ा करेगी।

सीएम का नेटवर्क

लंबे समय तक सीएम होने का अपना मतलब होता है। इसे पिछले हफ्ते आईपीएस अफसरों ने महसूस किया। दरअसल, बस्तर में तीन नक्सलियों का एनकाउंटर हुआ था। पीएचक्यू में खुफिया चीफ अशोक जुनेजा, बस्तर के आईजी एसआरपी कल्लुरी, सीआरपीएफ आईजी समेत कई आला अधिकारी अगले दिन ठीक-ठाक तरीके से प्रेस कांफे्रंस कर एनकाउंटर का खुलासा करने की रणनीति बना रहे थे। इसी दौरान सीएम का दिल्ली से फोन आ गया। वे दो दिन के दिल्ली विजिट पर थे। उन्होंने पूछा, बस्तर में एनकाउंटर हुआ है? पुलिस अफसर इस सवाल पर हैरान रह गए, सीएम दिल्ली में हैं, उन्हें कैसे पता चल गया। इसके बाद आनन-फानन में पुलिस को प्रेस कांफें्रस करना पड़ा।

आईजी के नम्बर

सूबे के सबसे बड़े दो जिलों में कांग्रेस ने दो मेगा शो किया। दोनों ही अमित जोगी का था। अमित जोगी के होने का मतलब आप समझ सकते हैं। शक्ति प्रदर्शन। रायपुर के आक्रोश रैली में यूथ कांग्रेस के प्रेसिडेंट राजा बराड़ आए। बराड़ जिस प्रदर्शन में शामिल होते हैं, वहां लाठी चार्ज से कम में बात बनती नहीं। रायपुर में उनके पोस्टर लगे ही थे, जिनमें उनके हाथ से लहू निकलते दिखाया गया था। गड़बड़ी की आशंका के इंटेलिजेंस नोट भी थे। मगर पुलिस ने ऐसी मुकम्मल इंतजामात किए कि लाठी पटकने की भी जरूरत नहीं पड़ी। इसके ठीक अगले रोज बिल्हा में युकां नेता की लाश रखकर चक्का जाम किया जाना था। इलेक्ट्रानिक मीडिया में जिस तरह से ब्रेकिंग न्यूज चल रही थी, लगा मानों बिलासपुर में आग लग जाएगी। मगर बिलासपुर पुलिस और प्रशासन ने पानी फेर दिया। बिल्हा विधायक के कान में पुलिस वालों ने कुछ कह दिया। इसके बाद नेताजी सामने ही नहीं आए। बिना किसी अप्रिय स्थिति के दोनों मेगा शो निबट गए। ऐसे में, दोनों रेंज के आईजी का नम्बर बढ़ना लाजिमी है। सीएम ने भी दोनों को एप्रीसियेट किया है।

बीरगांव के मायने

बीरगांव नगर निगम चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के ताकत झोंक देने के अपने मतलब हंै। पिछले साल ही हुए लोकल इलेक्शन में कांग्रेस ने सत्ताधारी पार्टी को जोर का झटका दिया था। जाहिर है, इस चुनाव के नतीजों ने कांग्रेस को जोश से लबरेज कर दिया। कांग्रेस आलाकमान का भी संगठन के नेताओं के प्रति विश्वास बढ़ा। लिहाजा, भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस और आक्रमक हो गई। अब, बीरगांव के नतीजे भी अगर कांग्रेस के खाते में जाते हैं तो सताधारी पार्टी की मुश्किलें और बढ़ेगी। कांग्रेस पार्टी मैसेज देने की कोशिश करेगी कि बीजेपी का अब डाउनफाल शुरू हो गया है। और, सत्ताधारी पार्टी अगर बीरगांव को फतह करने में कामयाब हुई तो कांग्रेस का कांफिडेंस लड़खड़ाएगा। इसके ठीक उलट बीजेपी का आत्मविश्वास बढ़ेगा। दूसरा, कांग्रेस पार्टी में विरोध के स्वर और मुखर होंगे। वजह? बीरगांव नगरपालिका में कांग्रेस कभी हारी नहीं है। सो, विरोधी खेमा हार का ठीकरा संगठन के नेताओं पर फोडने की कोशिश करेगा। ऐसे में, दोनों ही पार्टियों के लिए इस चुनाव की अहमियत आप समझ सकते हैं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एक एसपी का नाम बताइये, जो अपने अधीनस्थों को रेंज आईजी से मिलने से मना करते हैं?
2. सरकार के इर्द-गिर्द दो आईएएस और एक आईपीएस की तिकड़ी मजबूत होने की कोशिश कर रही है। उनके नाम बताइये?

शनिवार, 7 नवंबर 2015

बैड दिवाली


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8 नवंबर
संजय दीक्षित
नान घोटाले के बाद सूबे के ब्यूरोक्रेट्स छांछ को भी फूंक-फूंककर पी रहे हैं। दिवाली में तो और सहमे हुए हैं। पहले साब के घर पर ना रहने पर बिल्डर, ठेकेदार, सप्लायर चपरासी या गार्ड को डब्बा थमाकर चल देते थे। बाद में पत्नी बता देती थी, डिब्बा और डिब्बे का सामान कितना वजनदार था। अबकी स्थिति उल्टी है। अधिकांश नौकरशाहों ने चपरासी एवं गार्ड को हिदायत दे दिए हैं, अनचिन्हार का डिब्बा बिल्कुल मत लेना। छोटे ठेकेदार एवं सप्लायर का तो बिल्कुल नहीं। क्या पता, घर जाकर डायरी में लिख दें, फलां साब को फलां चीज दिया। जाहिर है, ब्यूरोके्रट्स की पत्नियों की ये दिवाली बैड रहेगी।

टाटा और टोयटा

वित्त विभाग के अफसरों का टाटा और टोयटा के प्रति प्रेम से मंत्रालय के अफसर परेशान हैं। आला अधिकारी तक कोस रहे हैं….हम अपने लिए गाड़ी लेने जाते हैं, तो सबसे पहले उसका एवरेज देखते हैं और फायनेंस को टाटा और टोयटा के अलावा कुछ सूझता नहीं। जबकि, इन गाडि़यों का एवरेज सबसे कम है। वित्त विभाग 85 फीसदी से अधिक गाडि़यां इन्हीं कंपनियों का परचेज करता है। यद्यपि, नए रायपुर में मंत्रालय शिफ्थ होने के बाद सरकार ने फ्यूल का कोटा 40 लीटर से बढ़ा कर 240 लीटर प्रति महीने कर दिया है। इसके बाद भी पुर नहीं पा रहा है। कहीं इधर-उधर जाना पड़ जाए, तो अपने जेब से तेल भराओ या फिर उसक बिल किसी ठेकेदार या सप्लायर को टिकाओ। ऐसे में, सरकार कोे इस पर सोचना चाहिए।
पांचवे कलेक्टर
रायपुर के कलेक्टर ठाकुर राम सिंह सिकरेट्री बनने के बाद भी कलेक्टरी करने वाले सूबे के पांचवे आईएएस हो गए हैं। उनके सिकरेट्री प्रमोट होने के बाद सरकार ने रायपुर कलेक्टर के पोस्ट को सिकरेट्री लेवल में अपग्रेड कर दिया है। इससे पहले, चितरंजन कुमार खेतान, राजेंद्र प्रसाद मंडल रायपुर और सुब्रत साहू तथा जवाहर श्रीवास्तव दुर्ग के कलेक्टर रह चुके हैं। इनमें से मंडल तो सिकरेट्री रहने के बाद कलेक्टर पोस्ट किए गए थे। 2004 में जब वे रायपुर के कलेक्टर बनें, तब वे मंत्रालय में राजस्व सचिव थे।

सीईओ की क्लास

हर तीन महीने में होने वाली जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों की राजधानी में हुई क्लास अबकी कुछ हट के रही। सरकार ने उनसे खरी-खरी बातें की। जिनका काम मार्केबल रहा, उनकी पीठ थपथपाई गई। जिनके पारफारमेंस पुअर रहा, उनकी क्लास भी ली गई। स्वच्छता अभियान और टायलेट बनाने में राजनांदगांव, रायगढ, धमतरी और कोरबा जिले के सीईओ की मंत्री और एसीएस ने मंच से सराहना की। चलिए, प्रतिस्पर्धा बढ़ने से सीईओज कुछ बढियां का करें।

एक अनार….

राज्य मानवाधिकार आयोग में मेम्बर के दो पोस्ट खाली हैं। इनमें से एक रिटायर आईपीएस शामिल है। मगर दावेदार इतने हो गए हैं कि सरकार अपाइंटमेंट नहीं कर पा रही है। चार तो तगड़े दावेदार हैं। संघ से लेकर संगठन तक एप्रोच लगा रखे हैं। लेकिन, किसे खुश करें, किसे नाखुश। सो, सरकार इसे अभी टाल रही है।

जय हो

भिलाई में आईआईटी खुलने का रास्ता लगभग साफ हो गया है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास विभाग याने एचआरडी इस पर सहमत हो गया है। पहले, वह न्यू रायपुर का डेवलपमेंट देखकर वहीं पर आईआईटी बनाने के लिए अड़ा था। न्यू रायपुर के बगल में एयरपोर्ट भी है। किन्तु सरकार ने भिलाई में आईआईटी खोलने के लिए विधानसभा में संकल्प पारित कर रखा है। सीएम ने दिल्ली लेवल पर कोशिशें की। सूबे के तकनीकी शिक्षा मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय लगे ही थे। असल में, फायदा तो पाण्डेयजी को ही होना है। भिलाई में आईआईटी खुल गया तो 2018 का चुनाव तो उसी के सहारे निकल जाएगा।

अंत में दो सवाल आपसे

1. आईपीएस के कैडर रिव्यू को भारत सरकार से मंजूरी मिलने में देरी क्यों हो रही है?
2. आईएएस लाबी ने किस यंग आईएएस को बाल-बाल बचा लिया?

रविवार, 1 नवंबर 2015

लाल सलाम

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1 नवंबर
संजय दीक्षित
रणबीर शर्मा रिश्वत कांड में आईएएस लाबी ने ट्रेड यूनियन की तरह सीएम को जा घेरा था। और, चाहे जैसे भी हो, अपना लोहा मनवा भी लिया…जो हमसे टकराएगा….। लेकिन इसका मैसेज कैसा गया, आप समझ सकते हैं। दुर्ग की महिला तहसीलदार को एसीबी ने पकड़ा तो पूरे प्रदेश के तहसीलदार, नायब तहसीलदार हड़ताल पर चले गए। इससे पहिले, एडीएम संतोष देवांगन को एक मंत्री ने सरेआम थप्पड़ मार दिया था। उस अक्षम्य मामले में भी कुछ नहीं हुआ। और, इस करप्शन के केस में….। चोरी और सीनाजोरी भी। वाह! असल में, आदर्श तो बड़े अफसरों को ही माना जाता है न। उपर वालों ने लाल सलाम बोल दिया तो नीचे वालों का भला क्या कसूर।

पहुना में पहुना

राज्योत्सव के चीफ गेस्ट केंद्रीय वित्त और सूचना प्रसारण मंत्री अरुण जेटली राजधानी के विशिष्ट अतिथि गृह पहुना मे रात्रि विश्राम करेंगे। गेस्ट हाउस को फाइव स्टार लुक देने के बाद जेटली पहुना के पहले पहुना होंगे। इसके लिए पहुना को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। राज्योत्सव तो है ही, पहला पहुना जो आ रहा है। वो भी भारत सरकार का रुपया-पैसा देने वाला पहुना। पहुना में दो वीआईपी और दो वीवीआईपी सूट हैं। सुविधाओं के मामले में पहुना फाइव स्टार होटल से कम नहीं है। सुरक्षा के भी चाक-चैबंद इंतजामात किए गए हैं। राज्धानी में सुविधायुक्त गेस्ट हाउस न होने के चलते बड़े केंद्रीय मंत्री राजभवन में रुकते थे। अब इसकी कमी पूरी हो गई है।

कौशिक, लेकिन….

धरमलाल कौशिक को दोबारा पार्टी की कमान सौंपने पर लोकल लेवल पर सहमति बन गई है। सीएम कैंप के वे स्वाभाविक दावेदार तो हैं ही, उनके नाम पर बाकियो को भी कोई आपत्ति नहीं है। संघ भी लगभग सहमत है। लेकिन, अब मोदी युग है। सब कुछ दिल्ली के रुख पर निर्भर करेगा। बिहार चुनाव में बीजेपी को अगर फतह मिल गई तो कौशिक के लिए दिक्कत नहीं होगी। वरना, पार्टी फिर ठोक-बजाकर फैसला लेगी।

माफ कीजिए

बिना किसी ठोस कारण के हाथ जला चुके एक सीनियर मिनिस्टर मीडिया को देखते ही आजकल हाथ जोड़ लेते हैं। हाल ही में मंत्रालय में कुछ प्रिंट एन इलेक्ट्रानिक मीडिया के कुछ पत्रकारों ने उनसे बात करनी चाही तो मंत्रीजी हाथ जोड़ लिए। बोले, अभी मुझे अपना कैरेक्टर ठीक कर लेने दीजिए। फिर आपलोगों से बात करूंगा। वैसे भी, मंत्रीजी के दिन अच्छे नहीं चल रहे हैं। उनके पास तीन विभाग हैं। दो तो बहुत बड़े। दोनों के कर्मचारी बेमुद्दत हड़ताल पर हैं। ऐसे में, मंत्रीजी की परेशानी समझी जा सकती है।

दो पोस्ट और

भारत सरकार ने पीसीसीएफ के दो पोस्ट स्वीकृत कर दिए हैं। इसके फैक्स भी कल पहुंच गए। अब जल्द ही इसके लिए डीपीसी होगी। सीनियरिटी में प्रदीप पंत और दिवाकर मिश्रा नम्बर एक और नम्बर दो पर हैं। जाहिर है, इनकी दावेदारी तो रहेगी ही। मगर तीसरे नम्बर पर बीके सिनहा भी हैं। दिवाकर मिश्रा चूकि एसईसीएल में डेपुटेशन पर हैं, इसलिए सरकार चाहे तो दिवाकर को प्रोफार्मा प्रमोशन देकर पंत और सिनहा को पीसीसीएफ बना सकती है। मगर ये सिनहा की क्षमता पर निर्भर करेगा कि वे सरकार और आला नौकरशाहों को कितना साध पाते हैं। क्योंकि, बिना साधे सरकार में कुछ मिलता नहीं। आईपीएस ओपी पाल भले ही इसके अपवाद हो सकते हैं। सरकार ने उन्हें नोट उगलने वाले विभाग ट्रांसपोर्ट में भेज दिया।

खलबली

पीसीसीएफ के दो पोस्ट मिलने के बाद वन विभाग में खलबली मच गई है। पहले शीर्ष पद के लिए विकल्प सीमित थे। अनूप भल्ला पहले से तनखैया घोषित कर दिए गए थे। उपर से कांग्रेस के एक बड़े नेता ने वीटो लगा दिया। इसलिए, मजबूरी का नाम महात्मा गांधी हो गया। मगर वन विभाग के हालात सरकार से छिपे नहीं हैं। आईएफएस अफसर त्राहि माम कर रहे हैं। अरण्यक में बगावत के हालात निर्मित होेते जा रहे हैं। सो, पीसीसीएफ की डीपीसी के बाद सरकार प्रदीप पंत या बीके सिनहा में से किसी एक को आगे कर दे ंतो आश्चर्य नहीं।

अमित युग

ये आप मान सकते हैं, जोगी खेमे में अब अमित युग शुरू हो गया है। अमित के जन्मदिन से ही इसका आगाज कहा जा सकता है। याद होगा, अजीत जोगी ने कविता लिखी थी, अब उसे नहीं है कोई मार्गदर्शन की दकरार….खुद ही स़क्षम है….। इसके बाद छोटे जोगी निकल पड़े हैं। जोगी खेमे के नेता अब अमित से ही टिप्स ले रहे हैं। अमित इस कोशिश में हैं कि जोगी खेमे से जिन नेताओं को परहेज था, उन्हें भी अपने साथ जोड़ा जाए। बिलासपुर के दो एक्स मेयर जोगी के पाले में आ गए हैं। कोरबा जिले के एक एमएलए पर भी डोरे डाले जा रहे हैं। रविंद्र चैबे भी जोगी खेमे के साथ आ गए हैं। आउटसोर्सिंग के प्रदर्शन में जिस अंदाज में उनका भाषण दिया, उसके बाद कुछ बच नहीं गया है। नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव से जोगी खेमे के कैसे रिश्ते थे, छिपे नहीं है। मगर अमित की उनसे भी निकटता बढ़ी है। आखिर, छोटे जोगी के एक एसएमएस पर वे उनके यहां चाय पर पहंुच गए। आउटसोर्सिंग के इश्यू पर भाषण के दौरान टीएस ने ही लोगों को याद दिलाया कि आज रेणू जोगी का जन्मदिन है। असल में, अमित जानते हैं कि भूपेश और चरणदास महंत के साथ रिश्ते सुधरने की कोई गुंजाइश नहीं है। सो, रणनीति के तहत भूपेश, महंत वर्सेज आल करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। अमित के स्टार भी साथ दे रहे हैं। उन्हांेने आउटसोर्सिंग का इश्यू उठाया, उसे कांग्रेस ने पहले मजाक उड़ाया। पीसीसी चीफ ने तो पल्ला ही झाड़ लिया था। बाद मंे इश्यू की गंभीरता समझ में आने पर सारे नेता उसमें कूद पड़े। सोने में सुहागा कहिए, सरकार ने उसे विड्रो भी कर लिया। पहली गेंद पर छक्का…..विरोधी भी धराशायी। उधर, बिल्हा एसडीएम को भी सस्पेंड करा लिया। छोटे जोगी को और क्या चाहिए।

पते की बात

ताजा शोध से पता चला है कि अगर पत्नी करवा चैथ की जगह मौन व्रत रखे तो पति 25 साल ज्यादा जिंदा रह सकता है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. आउटसोर्सिंग के खिलाफ प्रदर्शन में अजीत जोगी बार-बार बोल रहे थे, सफेद बाल वाले पार्टी नहीं चला सकते। उनका इशारा किसकी ओर था?
2. रायगढ़ जिला पंचायत के आईएएस सीईओ को यकबयक क्यों हटाया गया? वो भी डिप्टी कलेक्टर से रिप्लेसमेंट करके?