रविवार, 29 जून 2014

तरकश, 29 जून

तरकश

ट्वेंटी-20 टीम

छत्तीसगढ़ बनने के बाद पहली बार ट्वेंटी-20 टीम की तरह आईएएस एसोसियेशन को फर्म किया गया है। प्रींसिपल सिकरेट्री बैजेंद्र कुमार को टीम का कैप्टन बनाया गया है। बैजेंद्र किसी की परवाह करते नहीं। बाल फास्ट हो या स्पीन, सबको एक अंदाज में ठोकते हैं। वैसे भी, इससे पहले कभी पीएस लेवल का आईएएस प्रेसिडेंट नहीं बना था। अभी नारायण सिंह थे और इससे पहले कभी सरजियस मिंज तो कभी बीेकेएस रे। ऐसा ही चलता रहा। पहले राजधानी में यूथ आईएएस पोस्टेड भी कम ही होते थे। अभी अमित कटारिया से लेकर प्रसन्ना, रजत कुमार और हाल तक ओपी चैधरी भी रायपुर में थे। सो, यूथ का वर्चस्व अबकी एसोसियेशन पर दिखा है। प्रसन्ना सिकरेट्री हैं तो अमित ज्वाइंट सिकरेट्री और रजत कुमार कोषाध्यक्ष। यहीं नहीं, जिलों में तैनात युवा आईएएस को भी कार्यकारिणी में रखा गया है। मसलन, बिलासपुर जिपं सीईओ नीरज बंसोड़। अब देखना दिलचस्प होगा कि बैजेंद्र की अगुवाई वाली ट्वेंटी-20 टीम कोई करामत दिखा पाती है?

लाल जाजम

86 बैच के आईएएस अफसर डा0 आलोक शुक्ला डेपुटेशन से लौटने वाले पहले आईएएस होंगे, जिनका सरकार ने लाल जाजम बिछा कर स्वागत किया। शुक्ला डेपुटेशन पर भारत निर्वाचन आयोग में पांच साल से डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर के पोस्ट पर तैनात थे। कार्यकाल पूरा करके वे एक जुलाई की शाम छत्तीसगढ़ लौटेंगे। और, दो को पदभार ग्रहण करेंगे। इससे हफ्ते भर पहले सरकार ने उन्हें दो-दो अहम विभागों की जिम्मेदारी दे डाली। उन्हें हेल्थ के साथ फूड जैसे विभाग दिए गए हैं। जबकि, दूसरे कई ऐसे आईएएस भी हैं, जो ठीक-ठाक पोस्टिंग के लिए ताक रहे हैं। बताते हैं, शुक्ला का वार्म वेलकम करके सरकार ने संदेश देने की कोशिश की है कि काम करने वाले अफसरों को अब वेटेज दिया जाएगा। आईएएस ही नहीं, आईपीएस और आईएफएस की पोस्टिंग में भी कुछ ऐसा ही हुआ। आखिर, पवनदेव को बिलासपुर आईजी, एसआरपी कल्लूरी को बस्तर आईजी, संजय शुक्ला को कमिश्नर हाउसिंग बोर्ड और अनिल राय को पीडब्लूडी सिकरेट्री बनाया ही गया है।

ट्रेन में कंपनी

छत्तीसगढ़ में लक्ष्मीपुत्रों द्वारा किस-किस ढंग का फर्जीवाड़ा किया जा रहा है, इसका यह एक नमूना होगा। प्रकाश लांजेवार नाम का एक बीपीएल कार्डधारी युवक ट्रेन से दुर्ग से रायपुर आ रहा था। ट्रेन में उससे एक सेठजी ने पूछा, क्या करते हो? जवाब मिला, कुछ नहीं। सेठजी बोले, हमारे साथ काम करोगे? युवक को लगा भगवान मिल गए, तपाक से हामी भर दी। इसके बाद सेठजी ने उसके नाम पर एक फर्जी कंपनी बनाई और सहकारी बैंक में उसका खाता खोलवाकर चेकबुक पर साइन करा लिया। इसके बाद उस चेकबुक के जरिये 18 करोड़ रुपए का खेल हो गया। इसके एवज में उसे चार किश्तों में मिले 17 हजार रुपए। वाणिज्य कर अफसर जब उससे 18 करोड़ के टैक्स का हिसाब पूछने उसकी झोपड़ी में पहुंचे, तो अफसर के साथ प्रकाश भी हक्का-बक्का रह गया। उसके पास 18 सौ रुपए नहीं है, वह 18 करोड़ का धंधा कैसे करेगा? चूकि, कागज-पत्तर प्रकाश के नाम पर है, इसलिए पुलिस ने उसके खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर लिया है। वाणिज्य कर विभाग ने ऐसे 32 लोगों की कुंडली तैयार की है, जिन्होंने सरकार को टैक्स देने के बजाए उल्टे सरकारी खजाने को 20 करोड़ रुपए का चूना लगा दिया।

कांग्रेस की पीसी

मध्यप्रदेश की देखादेखी छत्तीसगढ़ में पीएमटी फर्जीवाड़े के लिए कांग्रेस ने प्रेस कांफ्रेंस की तैयारी की थी। पता चला है, इसके लिए आरटीआई एक्टिविस्टों से सारे दस्तावेज मंगा लिए गए थे। मगर कांग्रेस के सूत्र ही बताते हैं, ऐन वक्त पर उपर से फोन आ गया, प्रेस कांफ्रेंस न किया जाए। और, मामले को ड्राप कर दिया गया।

तल्खी

राजकुमार कालेज में दाखिले को लेकर कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं में तल्खी बढ़ती जा रही है। वैसे भी कांग्रेस की राजनीति में दोनों एक दूसरे के विरोधी माने जाते हैं। इनमें से एक नेताजी ने दो-तीन गरीब बच्चों को आरकेसी में दाखिले के लिए रिकमांड किया था, मगर उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई। अब, साब भन्नाए हुए हैं। और, शायद यही वजह है कि चाय-नाश्ता और सौजन्य मुलाकातों का कोई असर नहीं हो रहा है।

अभी और…..

सरकार इस बार नया प्रयोग करते हुए ट्रांसफर की जंबो लिस्ट निकालने के बजाए दो-दो, तीन-तीन नामों की सूूची निकाल रही है। सिर्फ कलेक्टरों और निगम-मंडलों की एक बड़ी लिस्ट आई थी। इसके अलावा सब छोेटी ही रही। सो, आईएएस, आईपीएस में अभी कम-से-कम दो-एक लिस्ट और आएगी। कलेक्टर भी अभी दो जिले के और बदले जाएंगे। मंत्रालय में भी कुछ और चेहरे इधर-से-उधर किए जाएंगे।

अंत में दो सवाल आपसे

1. बिलासपुर के किस बड़े होटल को एक नौकरशाह से खाने का बिल मांगना भारी पड़ गया, उसके यहां छापा पड़ गया?
2. कमल विहार-2 बनने से आम आदमी को नुकसान होगा या बड़े बिल्डरों एवं लक्ष्मीपुत्रों को, जिनकी वहां सैकड़ों एकड़ जमीन है?

तरकश, 15 जून

अक्लमंदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में अपने पहले भाषण में छत्तीसगढ़ सरकार की पीठ थपथपा कर एक साथ कई संदेश दिए। उन्होंने संसद जैसे सर्वोच्च मंच से देश के सिर्फ दो राज्य सरकारों के कामों की प्रशंसा की। एक, नार्थ ईस्ट में सिक्किम और दूसरा, हिन्दी बेल्ट में छत्तीसगढ़। उन्हांेने देश को बताया कि माओवाद से ग्रस्त छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य ने पीडीएस में अनोखा काम किया है....छत्तीसगढ़ पहला राज्य है, जो गरीबों को भरपेट भोजन मुहैया करा रहा है। रमन सरकार की तारीफ कर मोदी ने भविष्य के सियासी समीकरणों का संदेश भी दिया। राजनीतिक प्रेक्षक भी मानते हैं, मध्यप्रदेश, राजस्थान जैसे बड़े भाजपा शासित राज्यों की बजाए मोदी ने अगर छत्तीसगढ़ की तारीफ की है, तो इसके अपने निहितार्थ हैं। मोदी जैसा पीएम संसद में पहला भाषण दें और, उसमें छत्तीसगढ़ सरकार की प्रशंसा के पुल बांध दें, और वह भी उस समय जब राज्य मे नेतृत्व को चुनौती देने की हवा उड़ाई जा रही हो, इसे हल्के से नहीं लिया जा सकता। वैसे, कम लोगों को पता होगा कि मोदी और रमन में बढि़यां केमेस्ट्री है। मोदी ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी ट्विट कर कहा था, विकास देखना हो तो न्यू रायपुर जाइये। लोकसभा के नतीजे आने के दो दिन पहले डा0 रमन सिंह गांधीनगर जाकर मोदी को पीएम बनने की एडवांस में बधाई दे आए थे। ऐसे में, असंतुष्टों को किसी तरह के सपने देखना फिलहाल, अक्लमंदी नहीं होगी।

इधर भी ओपी, उधर भी....

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पर्सनल असिस्टेंट ओपी चंदेल हैं। गुजरात में साथ थे और अब, पीएमओ में भी साथ हैं। जाहिर तौर पर ताकतवर भी हैं। मोदी से मिलने वालों को पहले ओपी से मिलना होता है। वैसे, एक ओपी अपने रायपुर में भी हैं। सीएम के निज सहायक। दोनों ओपी संघ से आए हैं, दोनों करीबी दोस्त हैं और दिल्ली में एक कमरे में रहे हैं। संघ ने एक ओपी को मोदी के पास भेजा था और दूसरे को नंदकुमार साय के पास। सायजी वाले ओपी छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने पर जम्प मारकर डा0 रमन सिंह के पास पहुंच गए। अपने ओपी का भी जलवा कम नहीं है। पहली पारी में तो इधर भी ओपी, उधर भी ओपी थे। दूसरी पारी में पर्सनल कारणों से ओपी कुछ कमजोर पड़े। मगर रमन की तीसरी पारी में ओपी ने फिर अपनी जगह बना ली है। लोकसभा चुनाव में कवर्धा में बढि़यां परफारमेंस दिया। और, अब तो बल्ले-बल्ले है। पीएमओ में कोई काम होगा, तो लोग ओपी को खोजेंगे। क्योंकि, इधर भी ओपी, उधर भी ओपी है।

सहवाग स्टाईल 

राजधानी में एक युवा आईएएस वीरेंद्र सहवाग टाईप बैटिंग कर रहे हैं। जिले में थे, तो गड़बड़ लोगों को ठोक-ठाक कर ठीक किया था। सर्व शिक्षा अभियान में गए तो एक बड़े मंत्रीजी के समर्थक की कागजों में चल रही दो गाडि़यों का आर्डर रद्द कर दिया। पिछले सात साल से मंत्री समर्थक की दो गाड़ी किराये में लगी थी। सरकार ने आईएएस को वहां से हटाकर दूसरे अहम विभाग में बिठाया तो वहां उन्होंने फर्जी लोगों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है। एक आदमी उन्हें 35 हजार की घड़ी गिफ्ट करने गया। आईएएस ने न केवल उसे जमकर लताड़ा बल्कि गुस्से में घड़ी को उठाकर फेंक दिया। अब देखना दिलचस्प होगा, अपना सहवाग कितने समय तक क्रीज पर टिकता है। ये अलग बात है कि सरकार ने उसे तेज गति से बैटिंग करने के लिए ही भेजा है।

थर्ड लिस्ट

कलेक्टरों की थर्ड लिस्ट जल्द जारी हो सकती है। फस्र्ट लिस्ट में सिंगल आर्डर निकला था ओपी चैधरी का। सेकेंड में तीन जिले के कलेक्टर बदले गए। थर्ड में भी तीन-से-चार जिले के कलेक्टर प्रभावित हो सकते हैं। इनमें मुंगेली, बलौदा बाजार जैसे जिले शामिल हैं, जहां कलेक्टरों के दो साल से अधिक हो गए हैं। हालांकि, कांकेर कलेक्टर डी ममगई का दो साल से अधिक हो गया है। मगर अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव तक उन्हें नहीं बदला जाएगा। विक्रम उसेंडी के सांसद निर्वाचित होने के कारण अंतागढ़़ विधानसभा सीट खाली हुई है। नई लिस्ट में शम्मी आबिदी और श्रूति सिंह का नम्बर लग सकता है। दूसरी सूची के समय श्रूति का नाम चर्चा में था लेकिन वह आदेश में नहीं बदल सका। शम्मी मैटरनिटी लीव पर गई थी, इसलिए कलेक्टर में उनका नम्बर नहीं लग सका। जबकि, उनसे एक साल जूनियर 2008 बैच के भीम सिंह कलेक्टर बन गए हैं। लोकसभा चुनाव के समय आयोग के निर्देश पर एनके मंडावी को हटाकर सरकार ने भीम की पोस्टिंग की थी। भीम का परफारमेंस ठीक है, इसलिए उन्हें चेंज करने का कोई विषय नहीं है।

सावधान

कलेक्टरी के मामले में छत्तीसगढ़ की महिला आईएएस रिकार्ड बना रही हैं। 27 में से चार जिलों में महिला कलेक्टर हैं। दुर्ग, कोरबा, अंबिकापुर और कांकेर जैसे जिले। ये चारों जिले आबादी और अहमियत के मामले में दर्जन भर छोटे जिले से भी बड़े होंगे। दुर्ग में संगीता आर, कोरबा में रीना बाबा कंगाले, अंबिकापुर में रीतू सेन और कांकेर में डी ममगई। दुर्ग को सूबे का सबसे अहम जिला माना जाता है। वहां इससे पहले कभी महिला कलेक्टर नहीं रही। कुछ इसी तरह का अंबिकापुर भी रहा है। बड़े जिला होने के कारण वहां भी किसी महिला को कलेक्टर नहीं बनाया गया। और, शम्मी आबिदी और श्रूति सिंह का नम्बर लग गया तो आधा दर्जन महिला कलेक्टर हो जाएंगी। गनीमत है, ठाकुर राम सिंह, सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, मुकेश बंसल और ओपी चैधरी जैसे अफसरों ने बड़े जिलों को थाम कर जेंस आईएएस का मान रखा है, वरना दिक्कत हो जाती।

मजबूरी का नाम....

आईपीएस में हालांकि, नौ एसपी के ट्रांसफर हो गए, मगर कुछ नाम बच गए। रायपुर और दुर्ग एसपी की तो खूब चर्चा थी। लेकिन बताते हैं, वहां लाया किसको जाए, यह अंतिम समय तक तय नहीं हो पाया, इस वजह से सरकार ने फिलहाल इसे पसपंड कर दिया है। अगली सूची में दो-तीन जिले के एसपी बदल सकते हैं। मगर संकेत है, एकदम तत्काल कुछ नहीं होगा।

सुवागत है

लोकसभा में अपने सांसदों ने भले ही छत्तीसगढ़ी में शपथ नहीं ली मगर 14वें विता आयोग की टीम के सामने राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ी में बैनर टांगकर अपनी मातृ भाषा का मान रखा। इस हाईप्रोफाइल मीटिंग में मंच पर जो बैनर लगा था, उसमें लिखा था, छत्तीसगढ़ म सुवागत है। चलिये, अच्छी बात है।    

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस नेता के केंद्रीय मंत्री बनने की वजह से एक आईएएस अफसर का वजन बढ़ गया है?
2. पूर्व डीजीपी रामनिवास ने राजधानी के ट्रैफिक को लेकर कुछ सुझाव दिए हैं, लेकिन अपने कार्यकाल मेें वे इस पर अमल क्यों नहीं कर पाए?

तरकश, 8 जून

धमाकेदार वापसी

आईपीएस पवनदेव और एसआरपी कल्लूरी ने आखिरकार धमाकेदार वापसी की। पिछले एक दशक में दोनों को खास पोस्टिंग नहीं मिली थी। कोरबा और बिलासपुर जैसे जिले के एसपी रहे कल्लूरी को 2005 में बलरामपुर पुलिस जिला का एसपी बनाया गया था। उन्होंने नक्सलियों का सफाया करके रिजल्ट भी दिया था। मगर बात बनी नहीं। पुलिस महकमे के गुटीय पालीटिक्स में दोनों हांसिये पर ही रहे। पवनदेव ने सबसे खराब दौर देखा, जब उन्हें विधानसभा चुनाव के ऐन पहले लोक अभियोजन में भेज दिया गया। लेकिन, रमन सरकार ने अब उन पर भरोसा करते हुए अहम जिम्मेदारी सौंप दी है। पवनदेव को बिलासपुर और कल्लूरी को बस्तर जैसे संवेदनशील पुलिस रेंज का आईजी पोस्ट किया गया है।

डीजीपी को पावर

राज्य सरकार ने पवनदेव और एसआरपी कल्लूरी को अहम रेंज की कमान सौंपकर एक तरह से कहें तो डीजीपी अमरनाथ उपध्याय को मजबूत किया है। इसकी झलक शुक्रवार को हुई पोस्टिंग में दिखी।  उनके पसंदीदा अफसर पवनदेव और कल्लूरी रेंज आईजी बन गए। हालांकि, बिना सरकार की सहमति के इस लेवल पर अपाइंटमेंट नहीं होते, लेकिन उपध्याय भी यही चाह रहे थे। उनके पसंद के चलते ही बस्तर एसपी अजय यादव की कुर्सी सलामत रही। सरकार भी चाहती है कि पुलिस महकमा बढि़़यां परफार्म करें। डीजीपी को मजबूत हुए बिना यह संभव नहीं है। लिहाजा, अब उन्हें पावर देना शुरू कर दिया है। वैसे भी उपध्याय बस्तर आईजी रह चुके हैं। उससे पहले, जब कल्लूरी ने बलरामपुर में माओवादियों का सफाया किया, तब उपध्याय अंबिकापुर के आईजी थे। सो, यह मानकर चलिये कि पुलिस का फोकस अब बस्तर होगा और आने वाले समय में वहां नक्सलियों के खिलाफ मुहिम तेज होगी।

गुड आइडिया

डीओपीटी के तेवर के चलते एम गीता को एमपी गवर्नमेंट ने आखिरकार सोमवार को रिलीव कर दिया। गीता के पति बैंक में नौकरी करते हैं और छत्तीसगढ़ में उनका पोस्ट नहीं है, इस आधार पर गीता ने 14 साल भोपाल में निकाल दिया। कैट गई, फिर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट। सुप्रीम कोर्ट ने डीओपीटी को फैसला करने का आदेश दिया। डीओपीटी ने यह कहते हुए कि कई महिला आईएएस के पति प्रायवेट संस्थाओं में नौकरी करते हैं। ऐसे में, आपको राहत देने से गलत संदेश जाएगा। इस आर्डर के बाद भी गीता ने कोशिश की, कि मामला कुछ दिन और खींच जाए। मगर तब तक मोदी की सरकार फर्म हो गई। डीओपीटी ने भी अपना तेवर दिखाते हुए एमपी के चीफ सिकरेट्री को गीता को तत्काल रिलीव करने का निर्देश दिया था। चलिये, कानूनी लड़ाई में गीता को 14 साल मोहलत तो मिल गई। बच्चे पढ-लिख गए। अब, छत्तीसगढ़ में भी दिक्कत नहीं होगी। गुड आइडिया।

97 बैच और दो देवियां

97 बैच में छत्तीसगढ़ कैडर के तीन आईएएस हैं। सुबोध ंिसंह, एम गीता और निहारिका बारिक। इनमें से सुबोध सिंह ही हैं, जो शुरू से छत्तीसगढ़ में रहे। गीता और बारिक, दोनों छत्तीसगढ़ आने से हमेशा कतराती रहीं। गीता तो छत्तीसगढ़ न जाना पड़े, इसके लिए कैट, हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गईं। इस चक्कर में उन्हें 14 साल मध्यप्रदेश में काम करने की मोहलत मिल गई। उधर, बारिक राज्य बनने के बाद मुश्किल से आठ महीने अंबिकापुर में अपर कलेक्टर रहीं। उसके बाद दिल्ली का जो रुख की, बायोडाटा में कलेक्टरी दर्ज कराने के लिए साल भर के लिए छत्तीसगढ़ लौटी। वो भी तब, जब सरकार ने उन्हें महासमुंद कलेक्टर का आर्डर निकाला। इसके बाद फिर दिल्ली चली गईं।

पर्चे के पीछे

कांग्रेस के पर्चे के पीछे नेतृत्व परिवर्तन की आहट महसूस की जा रही है। पर्चे में संगठन में लगाातार ओबीसी को अहमियत देने की ओर इशारा किया गया है। कांग्रेस के अंदर से भी यह बात उठ रही है कि महंत, पटेल के बाद भूपेश बघेल को पीसीसी की कमान सौंपी गई है। अब, अगड़ों को भी एक बार मौका मिलना चाहिए। अगड़े बोले तो सत्यनारायण शर्मा और रविंद्र चैबे। मोतीलाल वोरा गुट का समर्थन भी इस मुहिम में मिल रहा कि एक बार अगड़े के हाथ में भी पार्टी की कमान सौंपी जाए। जोगी गुट से भी समर्थन लेने की कोशिश की जा रही है। कुल मिलाकर टारगेट एक ही है, नेतृत्व परिवर्तन।

सुब्रमण्यिम का जादू

लगता है, मनमोहन सिंह के बाद नरेंद्र मोदी पर भी बीवीआर सुब्रमण्यिम का जादू चल गया है। मोदी ने उन्हें पीएमओ में रोक लिया है। सुब्रमण्यिम 87 बैच के आईएएस हैं और लंबे समय से पीएमओ में पोस्टेड हैं। राज्य सरकार लंबे समय से उन्हें यहां बुलाने के लिए केंद्र से पत्राचार कर रही है। राज्य सरकार ने नियमों का हवाला देते हुए पिछले साल प्रेशर बनाया था, तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रिक्वेस्ट के अंदाज में डा0 रमन सिंह को पत्र लिखा था, मैं प्रधानमंत्री हूं, मेरे पसंद का एक आईएएस तो पीएमओ में रहने दीजिए। मनमोहन सिंह के हटने के बाद सुब्रमण्यिम का छत्तीसगढ़ लौटना तय माना जा रहा था। मगर, मंत्रालय के आईएएस शुक्रवार को तब भौंचक रह गए, जब पीएमओ से सुब्रमण्यिम का एक साल एक्सटेंशन का खत पहुंचा।

नए पीसीसीएफ

पीसीसीएफ एके सिंह अगले महीने रिटायर हो जाएंगे। सो, वन महकमे के नए मुखिया के लिए प्रयास तेज हो गए हैं। सीनियरिटी के हिसाब से देखेंत तो सिंह के बाद रामप्रकाश आते हैं। 79 बैच के आईएफएस रामप्रकाश लंबे समय से वाइल्डलाइफ देख रहे हैं। हालांकि, इसी बैच के आरके बोवाज भी हैं। मगर बैच में सीनियर रामप्रकाश हैं। हालांकि, रामप्रकाश के रिटायरमेंट में साल भर बाकी है। मगर जिस तरह रिटायरमेंट से छह महीेने पहले सिंह को सरकार ने पीसीसीएफ बना दिया, उसके देखते रामप्रकाश को वन विभाग की कमान मिलने की संभावना अधिक दिख रही है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. क्या बोर्ड और आयोगों में पोस्टिंग के बाद तीन नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जाएगी?
2. किस आईएएस को बिलासपुर का प्रभारी कमिश्नर बनाए जाने की चर्चा है?